SEZs
SEZs
SEZs विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zones)।सरकार द्वारा स्थापित क्षेत्र को निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र( SEZs)कहा जाता है
शेष एक भौगोलिक क्षेत्र है जिसमें देश के आर्थिक कानून से भिन्न विशेष आर्थिक कानून लागू होते हैं
यह कानून देश के अन्य भागों में प्रचलित कानून से कम प्रतिधात्मक होते हैं ये क्षेत्र विशेष आर्थिक नीतियों और टैक्स लाभों के साथ बनाए जाते हैं ताकि व्यापार और उद्योग को बढ़ावा दिया जा सके जिसे विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम के द्वारा मजबूती प्रदान की गई इसके मुख्य उद्देश्य का विकास एवं बुद्धि को बढ़ावा देना तथा निर्यात केंद्र का विकास करना है जब एक अधिनियम विशेष क्षेत्र में कार्य रूप के परिणीता हुई तो इसे विशेष आर्थिक क्षेत्र के रूप में पारित होने के लिए मुक्त किया गया विशेष आर्थिक क्षेत्र की स्थापना या तो भारत सरकार द्वारा या राज्य सरकार द्वारा बल्कि हाथ की निजी क्षेत्र के द्वारा अर्थव्यवस्था के सभी तीनों क्षेत्र सेवाओं में की जा सकती है खनिज एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक देश की विशेष आर्थिक क्षेत्र की स्थापना उद्देश्यों में शामिल अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों का निर्माण दूसरा माल एवं सेवाओं का नियत को बढ़ावा देना तीसरा घरेलू एवं विदेशी स्रोतों को बढ़ावा देना है ताकि रोजगार के अवसर को सीजन करना बुनियादी और स्वरूप विकास हो सके
न्यूनतम वैकल्पिक मठ को आरंभ किए जाने तथा संबंधी लबों की समाप्ति के बाद विशेष आर्थिक क्षेत्र के आभा मालूम पड़ने पर सीमा शुल्क विनिमय अंतर्गत विदेश निकाय को माना जाता है उद्योग जगत द्वारा इन्हें मिलने वाली कर लाभ जारी रखना लगातार अपील की जा रही है
इन क्षेत्र को नियमित विनियमित करने के लिए वर्तमान में कानून व्यवस्था एक नए कानून द्वारा स्थापित किया जाएगा जिसके अंतर्गत इन निकायों के साथ राज्य को भी साझेदारी कर सकेगा नए कानून का प्रावधान विद्यमान नए सभी औद्योगिक क्षेत्र में लागू नेता के आधार पर संरचना समस्त उपयोग स्पर्धा को मजबूती प्रदान की जा सके
SEZs की विशेषताएं:
टैक्स लाभ: SEZs में स्थित कंपनियों को टैक्स में छूट दी जाती है।
निर्यात बढ़ावा: SEZs का मुख्य उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना है।
विदेशी निवेश: SEZs में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए विशेष नीतियाँ होती हैं।
आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर: SEZs में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे कि सड़कें, बिजली, पानी और संचार सुविधाएं होती हैं।
श्रम नीतियाँ: SEZs में श्रम नीतियाँ उद्योगों के अनुकूल होती हैं।
SEZs के नियम और नीतियाँ देश के अनुसार भिन्न हो सकती हैं।
विशेष आर्थिक अधिनियम 2005
एशिया का पहला एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग जोन गुजरात के कांडला में स्थापित किया गया
वैश्विक स्तर की अवसर रचना वित्तीय अस्थिरता के कारण (EPZ)निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कारगर साबित नहीं हुआ बाद में इस विचार को (EOUs) ई यू एस के द्वारा एक अलग प्रोत्साहन मिला कुछ नए फीचर्स के साथ सरकार द्वारा विशेष आर्थिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कुछ नए नीति लाई गई इस नीति का उद्देश्य अधिक से अधिक आर्थिक विकास को बढ़ावा देना तथा रोजगार के नए अवसरों को प्रदान करना संसद द्वारा मई 2005 को विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम पारित किया गया जिसे जून 2005 को राष्ट्रपति द्वारा अनुमति प्रदान की गई यह अधिनियम 2006 को प्रभावित हो गया और 2006 में सेज के लिए नियम भी बनाए गए इस अधिनियम में राज्य और केंद्र सरल सिंगल विंडो क्लीयरेंस को महत्व दिया गया
SEZs के लाभ:
निर्यात में वृद्धि
आर्थिक विकास
रोजगार के अवसर
विदेशी निवेश में वृद्धि
उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि
SEZs के नियम और नीतियाँ देश के अनुसार भिन्न हो सकती हैं।
- सेज में होने वाले निर्माण पर कस्टम ड्यूटी एक्साईज ड्यूटी आयकर मिनीमन अल्टरनेटेक्स वे डिवीडेन्ट डिसटीब्यूशन इत्यादि टैक्स नहीं लगता है
विशेष आर्थिक क्षेत्र के लिए नीति की घोषणा 2000 में की गई थी इसका उद्देश्य विशेष आर्थिक क्षेत्र को विकास के रूप में घोषणा करना है
(Sez) कई देशों में स्थापित किया गया है भारत चीन पोलोड फिलिपींस जॉर्डन रूस इत्यादि भी शामिल किए गए
SEZs के उदाहरण:
1. सेबी (SEZ) हैदराबाद, तेलंगाना
2. मुंबई सेबी (SEZ), महाराष्ट्र
3.नोएडा सेबी (SEZ), उत्तर प्रदेश
4. कोलकाता सेबी (SEZ), पश्चिम बंगाल
5.चेन्नई सेबी (SEZ), तमिलनाडु